| 1. | चूँकि कोई भी त्रिकोणमितीय फलन एकैकी (
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| 2. | सबसे महत्व के त्रिकोणमितीय फलन हैं।
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| 3. | गणित में त्रिकोणमितीय फलनों के प्रतिलोम फलनों को प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन (
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| 4. | त्रिकोणमितीय फलन निम्नलिखित तालिका में दिये गये सम्बन्धों द्वारा परस्पर बदले जा सकते हैं-
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| 5. | ' ज्या', 'कोटिज्या' तथा 'उत्क्रमज्या' नामक तीन त्रिकोणमितीय फलन भारतीय खगोलशास्त्रियों एवं गणितज्ञों द्वारा प्रतिपादित किये गये थे।
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| 6. | आज प्रयोग किये जाने वाले सभी छः त्रिकोणमितीय फलन ९वीं शती तक इस्लामी गणित में प्रयोग होने लगे थे।
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| 7. | त्रिकोणमितीय फलन आवर्त होते हैं. जैस-सिन् (ॅ + २) = सिन् (ॅ + ह्) = सिन् (ॅ + ६) = सिन् ॅदीर्धवृत्तीय फलन के दो आवर्तनांक होते हैं.
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